
त्रिवेन्द्र सरकार कैबिनेट में लाने जा रही ये अहल प्रस्ताव, जाने क्या है वो प्रस्ताव.......
उत्तराखंड राज्य में जंगली जानवरों द्वारा आए दिन गंभीर रूप से घायल व मारे जाने की घटना प्रतिदिन सुनने को मिलती है। परंतु राज्य सरकार की ओर से मिलने वाली मुआवजा राशि कम होने के कारण परिजनों को स्वयं की जेब खर्च करनी पड़ती है। किंतु अब यह मुआवजा राशि को राज्य सरकार बढ़ाने जा रही हैं। इसके लिये कैबिनेट में प्रस्ताव लाया जाएगा। प्रस्ताव पास होने के बाद वन्यजीवों द्वारा मारे जाने पर मृतक के परिजनों को अभी तीन लाख की मुआवजा राशि मिलती है। जो बढ़कर पांच लाख रूपये हो जायेगी। जबकि गंभीर रूप से घायल व्यक्ति को 50 हजार रूपये के बढ़ाकर दो लाख रूपये की मुआवजा राशि दी जायेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वनों के प्रबंधन में स्थानीय लोगों की भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए। वनों के संरक्षण के लिए ग्रामीणों का सहयोग जरूरी है। वनों का संरक्षण भी हो और स्थानीय ग्रामीण इनसे आजीविका भी प्राप्त कर सकें इसके लिए ग्रीन टूरिज्म की कन्सेप्ट पर काम किया जाए। कार्बेट के बफर जोन व रामनगर वन प्रभाग में हाथी सफारी को भी अनुमति दी गई। यह भी तय किया गया कि राजाजी टाईगर रिजर्व में पर्यटन से होने वाली आय का 100 फीसदी राजाजी टाईगर रिजर्व कंजरवेशन फाउंडेशन के कोष में जमा किया जाएगा। इसका कुछ भाग सामुदायिक गतिविधियों में प्रयोग किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि साल में एक बार होने वाली उत्तराखण्ड राज्य वन्य जीव बोर्ड की बैठक हर छह माह में आयोजित की जाए। इसमें प्रस्तुत किए जाने वाले बिंदुओं के साथ विस्तृत रिपोर्ट भी संलग्न होनी चाहिए। यदि कोई मामला जनता से जुड़ा हो तो बोर्ड की बैठक में प्रस्तुत करने से पहले यह भी अध्ययन करा लिया जाए कि इससे सम्भावित लाभ व हानि क्या-क्या हैं।
आरक्षित वन और टाईगर रिजर्व के बफर जोन में एंगलिंग का परमिट नहीं दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि वन विभाग द्वारा जिन पर्वतारोही दलों को अनुमति दी जाती है उसकी सूचना पुलिस को भी दी जाए। ताकि किसी आकस्मिक स्थिति में फंसे पर्वतारोहियों को बचाया जा सके। बैठक में वाईल्ड लाईफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा प्रस्तावित कंडी मार्ग पर किए गए फिजीबिलिटी सर्वे का प्रस्तुतिकरण किया गया। बताया गया कि इसके बनने से गढ़वाल से कुमायूं के लिए सीधा सम्पर्क मार्ग बनेगा और इससे यात्रावधि में लगभग तीन घंटे की कमी आएगी। इस पर कंडी मार्ग के संबंध में एक कार्यकारी समिति बनाने का निर्णय किया गया।
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