राफ्टिंग पर हुयी कार्यवाही से खाली हुयी गंगा
उच्च न्यायालय के आदेश के बाद उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद के निर्देश पर प्रशासन ने राफ्टिंग पर रोक लगा दी हैं। जिसके बाद गंगा से रंग बिरंगी राफ्ट उतार दी गयी। रविवार को इससे जुड़े लोग राफ्ट को पैक करते नजर आए। इस व्यवसाय से जुड़े हजारों लोगों से रोजगार छिन गया। यह बेरोजगार अब शासन से आस लगाये बैठे है।
गंगा नदी राफ्टिंग प्रबंधन समिति टिहरी गढ़वाल की चुप्पी से राफ्टिंग व्यवसायियों में नाराजगी है। मुनिकीरेती कौड़ियाला इको टूरिज्म जोन में 281 राफ्टिंग कंपनियां गंगा नदी क्षेत्र में राफ्टिंग का संचालन करती आई हैं। कोर्ट के आदेश के बाद शासन के फैसले से इन सभी व्यवसायियों ने अपना सामान समेट लिया है।
शासन द्वारा राफ्टिंग के क्षेत्र में नियमों का पालन और पर्यटकों की सुविधाओं के लिए गंगा नदी राफ्टिंग पर्यटन समिति टिहरी गढ़वाल का गठन किया गया था। जिसमें जिलाधिकारी टिहरी अध्यक्ष, उप जिलाधिकारी नरेंद्रनगर उपाध्यक्ष और जिला पर्यटन अधिकारी को सचिव बनाया गया था। प्रति पर्यटक बीस रुपया शुल्क समिति वसूल रही थी। राफ्टिंग में रोक के बाद राोफ्टग व्यवसायियों को समिति से काफी उम्मीदें थी। मगर समिति की चुप्पी इनकी नाराजगी बढ़ा रही है।
उत्तराखंड फाइनेस्ट आउटडोर (यूएफओ) से जुड़े राफ्टिंग व्यवसायियों ने बैठक कर गंगा नदी राफ्टिंग प्रबंधन समिति से संबंधित मामले में न्यायालय में पैरवी करने की मांग की है। कैलाश गेट में यूएफओ के अध्यक्ष देवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में हुई बैठक में बेरोजगार हुए राोफ्टग व्यवसायियों ने कहा कि प्रबंधन समिति ने पर्यटकों से जो राजस्व वसूली की है वह करीब एक करोड़ रुपये है। समिति द्वारा राफ्टिंग में आए पर्यटकों की निगरानी और सुविधाओं पर जो खर्च करना था वो नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि जब राफ्टिंग व्यवसायी ही नहीं रहेगा तो प्रबंधन समिति का औचित्य क्या रह जाता है। बैठक में इन व्यवसायियों ने जिलाधिकारी और मुख्यमंत्री से अपनी बात रखने का निर्णय लिया। कहा कि राफ्टिंग के कारण जाम लगने की बात कही जा रही है, लेकिन दो दिन से राफ्टिंग बंद है तो अब कैसे जाम लग रहा है।
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